आज योगिनी एकादशी
*।।श्रीपांडुरंगाची भूपाळी।।*
उठा उठा रुक्मिणीवरा।
उघडी लोचन विश्वंभरा।
जमली अवघी संत मंडळी।
उघडी हो बा द्वारा।।१।।
नामा शिंपी आला घेउनी।
अंगरखा रक्षी थंडी पासुनी।
जनी आली बघा घेउनी।
शेकोटी गोवऱ्या लावूनी।।२।।
सावत्याने आणिली भाजी।
मळ्या मधुनी ताजी ताजी।
पहा उघडुनी डोळे देवा।
ह्या संतांची अजिजी।।३।।
दिव्य अलंकार घडवुनी।
आला नरहरी सोनार।
देई माप कमरपट्ट्याचे।
रुक्मिणी मातेस चंद्रहार।।४।।
तुका वाजवीत टाळी।
गाई अभंगांची रांगोळी।
कान्होपात्रा देतसे साथ।
नृत्य करुनि पैंजण पदकमळी।।५।।
सुखावती सर्व संत।
दावी आता आपुले श्रीमुख।
प्रमोद लागे तव चरणी।
म्हणे हे सुखाचे अवघे सुख।।६।।
पंढरीनाथ महाराज की जय.
श्रीगुरूदेव दत्त.
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