Bhagavad Gita 6.19
*भगवद्गीता– अध्याय ६, श्लोक १९*
यथा दीपो निवातस्थो नेङ्गते सोपमा स्मृता |
योगिनो यतचित्तस्य युञ्जतो योगमात्मन: ||
अनुवाद: वायुरहित स्थान पर दीपक की लौ झिलमिलाहट नहीं करती। इस तुलना का प्रयोग आत्मयोग में लीन योगी के नियंत्रित मन के लिए किया जाता है।
Bhagavad Gita 6.19:
The flame of a lamp in a windless place doesn't flicker. This comparison is used for the controlled mind of a yogi absorbed in the yoga of the self (atman).
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