There is no self or non-self, nothing auspicious or evil, no thought or absence of them for me, who is established in Self.॥4॥
क्व चात्मा क्व च वानात्मा
क्व शुभं क्वाशुभं तथा।
क्व चिन्ता क्व च वाचिन्ता
स्वमहिम्नि स्थितस्य मे॥१९- ४॥
अपनी महिमा में स्थित मेरे लिए क्या आत्मा है और क्या अनात्मा है तथा क्या शुभ और क्या अशुभ है, क्या विचारयुक्त होना है और क्या निर्विचार होना है?॥४॥
There is no self or non-self, nothing auspicious or evil, no thought or absence of them for me, who is established in Self.॥4॥
Ashtavakra Gita
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