O Arjuna! The devotee, who performs all their duties for My sake, depends upon Me and is devoted to Me, who is free from all attachments and is without malice toward all beings, certainly attains Me.
भगवद्गीता– अध्याय ११, श्लोक ५५
मत्कर्मकृन्मत्परमो मद्भक्त: सङ्गवर्जित: |
निर्वैर: सर्वभूतेषु य: स मामेति पाण्डव ||
अनुवाद: हे अर्जुन! जो भक्त मेरे लिए अपने सभी कर्तव्यों का निर्वाहन करता है, मुझ पर निर्भर रहता है और मेरे प्रति समर्पित है, जो सभी आसक्तियों से मुक्त है और सभी प्राणियों के प्रति द्वेष रहित है, वह निश्चित रूप से मुझे प्राप्त करता है।
O Arjuna! The devotee, who performs all their duties for My sake, depends upon Me and is devoted to Me, who is free from all attachments and is without malice toward all beings, certainly attains Me.
Bhagavad Gita
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