Established as non-dual reality, there is no world or desire for liberation, no yogi or seer, no-one bound or liberated.॥6॥

क्व लोकं क्व मुमुक्षुर्वा
क्व योगी ज्ञानवान् क्व वा।
क्व बद्धः क्व च वा मुक्तः
स्वस्वरूपेऽहमद्वये॥२०- ६॥



अपने अद्वय (दूसरे से रहित) स्वरुप में स्थित मेरे लिए क्या संसार है और क्या मुक्ति की इच्छा, कौन योगी है और कौन ज्ञानी, कौन बंधन में है और कौन मुक्त॥६॥



Established as non-dual reality, there is no world or desire for liberation, no yogi or seer, no-one bound or liberated.॥6॥

Ashtavakra Gita

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
May all sentient beings be at peace, may no one suffer from illness, May all see what is auspicious, may no one suffer. Om peace, peace, peace.

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