This world originates from self like waves from the sea. Recognizing, "I am That", why run like poor?॥3॥
विश्वं स्फुरति यत्रेदं
तरङ्गा इव सागरे।
सोऽहमस्मीति विज्ञाय
किं दीन इव धावसि॥३- ३॥
सागर से लहरों के समान जिससे यह विश्व उत्पन्न होता है, वह मैं ही हूँ जानकर तुम एक दीन जैसे कैसे भाग सकते हो॥३॥
This world originates from self like waves from the sea. Recognizing, "I am That", why run like poor?॥3॥
Ashtavakra Gita
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