There are no rules, dispassion, renunciation or meditation for one who is pure receptivity by nature, and admits no knowable form of being॥71॥
शुद्धस्फुरणरूपस्य
दृश्यभावमपश्यतः।
क्व विधिः क्व वैराग्यं
क्व त्यागः क्व शमोऽपि वा॥१८- ७१॥
जो शुद्ध स्फुरण रूप है, जिसे दृश्य सत्तावान नहीं मालूम पड़ता, उसके लिए विधि क्या, वैराग्य क्या, त्याग क्या और शांति भी क्या॥७१॥
There are no rules, dispassion, renunciation or meditation for one who is pure receptivity by nature, and admits no knowable form of being॥71॥
Ashtavakra Gita
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