The wise man does not dislike samsara or seek to know himself. Free from pleasure and impatience, he is not dead and he is not alive.॥83॥
धीरो न द्वेष्टि संसारमा-
त्मानं न दिदृक्षति।
हर्षामर्षविनिर्मुक्तो न
मृतो न च जीवति॥१८- ८३॥
धीर पुरुष न संसार से द्वेष करता है और न आत्म-दर्शन की इच्छा। वह हर्ष और शोक से रहित है। लौकिक दृष्टि से वह न तो मृत है और न जीवित॥८३॥
The wise man does not dislike samsara or seek to know himself. Free from pleasure and impatience, he is not dead and he is not alive.॥83॥
Ashtavakra Gita
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