For the seer who behaves like a child, without desire in all actions, there is no attachment for such a pure one even in the work he does.॥64॥
सर्वारंभेषु निष्कामो
यश्चरेद् बालवन् मुनिः।
न लेपस्तस्य शुद्धस्य
क्रियमाणोऽपि कर्मणि॥१८- ६४॥
जो धीर पुरुष सभी कार्यों में एक बालक के समान निष्काम भाव से व्यवहार करता है, वह शुद्ध है और कर्म करने पर भी उससे लिप्त नहीं होता॥६४॥
For the seer who behaves like a child, without desire in all actions, there is no attachment for such a pure one even in the work he does.॥64॥
Ashtavakra Gita
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