Ego poisons you to believe: “I am the doer”. Believe “I am not the doer”. Drink this nectar and be happy.॥8॥
अहं कर्तेत्यहंमान
महाकृष्णाहिदंशितः।
नाहं कर्तेति विश्वासामृतं
पीत्वा सुखं भव॥१-८॥
अहंकार रूपी महासर्प के प्रभाववश आप 'मैं कर्ता हूँ' ऐसा मान लेते हैं। 'मैं कर्ता नहीं हूँ', इस विश्वास रूपी अमृत को पीकर सुखी हो जाइये॥८॥
Ego poisons you to believe: “I am the doer”.
Believe “I am not the doer”. Drink this nectar and be happy.॥8॥
Ashtavakra Gita
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