GURU IN TWO PERSPECTIVES

Weekly Knowledge #3⃣1⃣7⃣ 
European Ashram
09 Aug 2001 
Bad Antogast, Germany

GURU IN TWO PERSPECTIVES

In the Orient, having a master is considered a matter of pride. A master is a symbol of security, love and a sign of great wealth. Being with the guru is like being with one’s higher self. Not having a master was looked down upon as being an orphan, being poor and a sign of misfortune. The word "anatha" in Sanskrit, means one without a master. Those without a master were considered to be orphans, but not those without parents.

But in the Occident, having a master is considered a matter of shame and a sign of weakness, for masters are known for enslaving people.

In the Orient people take pride in having a guru and there is a guru for every discipline – a religious guru (dharma), a family guru (kula), a rajguru (guru for the kingdom), a vidyaguru (guru for a particular discipline) and a satguru (spiritual guru).

In the Orient, masters made you feel powerful; in the Occident, masters made you weak.

In the Orient, there was a deep sense of belongingness that would enable one to dissolve the limited identity into infinity. But in the Occident, a master was a motivator and one who provoked competition.

🌻Jai Guru Dev🌻

 *Hindi translation*

सप्ताहिक ज्ञानपत्र ३१७
९ अगस्त, २००१
जर्मनी
दो दृष्टिकोण से गुरु
पूर्वी संस्कृति के देशों में गुरु का होना एक गर्व का विषय माना जाता है। गुरु प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक है और एक बड़ी संपत्ति के घोतक है। गुरु का सानिध्य परम आत्मतत्व के साथ रहने के तुल्य माना जाता है। जिनके गुरु नही है उनको निम्न दृष्टि से देखा जाता था और उन्हें अनाथ , दरिद्र और अभागा समझा जाता था। अनाथ उनको कहा जाता था जिनके गुरु नही होते थे, ना कि उनको जिनके माता- पिता नही होते थे। पर पाश्चात्य संस्कृति के देशों में मास्टर का होना शर्म की बात है और दुर्बलता का प्रतीक है, क्योकि वे लोगो को अपने अधीन दास बनाने के लिए जाने जाते है।
पूर्वी संस्कृति में जीवन के हरेक पहलू में गुरु का होना गर्व समझा जाता है- धर्म के लिए “ धर्मगुरु”, कुल के लिए “ कुल गुरु” , राज्य के लिए “ राज गुरु” , किसी विषय के अध्ययन के लिए, “ विद्या गुरु” और अध्यात्म के लिए “ सद्गुरु” ।
पूर्वी संस्कृति में गुरु आपको शक्तिशाली महसूस कराते है, जबकि पश्चिमी संस्कृति में ऐसा विचार है कि मास्टर आपको कमजोर बनाते है। पूर्वी संस्कृति में अपनेपन की एक गहरी भावना होती है जो व्यक्ति को अपनी सीमित पहचान घुला कर अनन्त के साथ एक होने के सक्षम बनाती है। पर पश्चिमी संस्कृति में गुरु को एक उत्प्रेरक और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने वाला समझा जाता है।
🌻जय गुरुदेव🌻

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
May all sentient beings be at peace, may no one suffer from illness, May all see what is auspicious, may no one suffer. Om peace, peace, peace.

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