*नाड़ी परिक्षण क्या है?*
SriSri Tattva Nadi Pariksha
*नाड़ी परिक्षण एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा *
*नाड़ी परिक्षण क्या है?*
नाड़ी परीक्षण एक प्रभावी सस्ती और हानि रहित रोग निदान की पद्धति है।
यह एक व्यापक एवं स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले कारणों के जड तक पहुंचने का तरीका है।
यह आपके व्यक्तिगत और निजी लक्षणों का परीक्षण कर विस्तृत एवं सटीक निदान उपलब्ध कराती है।
जिस प्रकार प्रत्येक ३ माह में मौसम बदलते हैं,उसके अनुसार पंचतत्व से निर्मित हमारे शरीर के अंदर भी बदलाव आता है।
अत: आयुर्वेद के सिध्दांत अनुसार हमे प्रत्येक ३ माह मे नाडी परिक्षण करवाकर शरीर और मन की स्थिति ज्ञात कर लेनी चाहिए ताकि भविष्य मे आने वाले खतरो से स्वयं को सुरक्षित रख सके।
पुरातन काल से चली आ रही नाडी परिक्षण की परम्परा को आयुर्वेदाचार्य द्वारा नाडी परिक्षण का शारीरिक व मानसिक व्यावधियो जैसे
-रक्तविकार,चर्मरोग,एक्झीमा,सोरासिस,बवासीर,
अम्लपित्त,वात विकार,जोडो का दर्द,मोटापा,मानसिक तनाव,रक्त चाप,ह्रदय विकार,अमिबिया,शारीरिक
कमजोरी,
दमा,अस्थमा,अनियमित मासिक धर्म,वंधत्वा इत्यादि
-रक्तविकार,चर्मरोग,एक्झीमा,सोरासिस,बवासीर,
अम्लपित्त,वात विकार,जोडो का दर्द,मोटापा,मानसिक तनाव,रक्त चाप,ह्रदय विकार,अमिबिया,शारीरिक
कमजोरी,
दमा,अस्थमा,अनियमित मासिक धर्म,वंधत्वा इत्यादि
अनेक जटिल रोगो की सफल आयुर्वेदिक चिकित्सा की जावेगी।
विशेष-
विशेष-
•नाड़ी परिक्षण खाली पेट कराना श्रेष्ठ हैं।
•चाय,नाश्ता,भोजन किया है तो ३ घंटे उपरान्त ही नाड़ी परिक्षण कराये।
परामर्श आयुर्वेदाचार्य द्वारा.............