Bhagavad Gita: 12.9
*भगवद्गीता– अध्याय १२, श्लोक ९*
अथ चित्तं समाधातुं न शक्नोषि मयि स्थिरम् |
अभ्यासयोगेन ततो मामिच्छाप्तुं धनञ्जय ||
अनुवाद: हे धनञ्जय! यदि तुम अपने मन को मुझमें स्थिर करने में असमर्थ हो, तो अभ्यासयोग के माध्यम से मुझे प्राप्त करने का प्रयत्न करो।
Bhagavad Gita: 12.9:
O Dhananjaya! If you are unable to focus your mind steadily on Me, seek to attain Me through the yoga of practice.
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