You are the Supreme Brahman, the Supreme Abode, the Supreme Holiness, the Eternal Divine Being, the Primal God, Birthless, and Omnipresent

भगवद्गीता– अध्याय १०, श्लोक १२–१३

अर्जुन उवाच |
परं ब्रह्म परं धाम पवित्रं परमं भवान् |
पुरुषं शाश्वतं दिव्यमादिदेवमजं विभुम् ||
आहुस्त्वामृषय: सर्वे देवर्षिर्नारदस्तथा |
असितो देवलो व्यास: स्वयं चैव ब्रवीषि मे ||

अनुवाद: अर्जुन ने कहा, "आप परम ब्रह्म, परम धाम, परम पवित्र, शाश्वत दिव्य पुरुष, आदिदेव, जन्महीन और सर्वव्यापी हैं। समस्त ऋषिजन और देवर्षि नारद, तथा असित, देवल और व्यास आपका वर्णन इस प्रकार करते हैं। स्वयं आपने भी मुझे ऐसा कहा है।"

Arjuna said, "You are the Supreme Brahman, the Supreme Abode, the Supreme Holiness, the Eternal Divine Being, the Primal God, Birthless, and Omnipresent. All the sages and the divine sage Narada, as well as Asita, Devala, and Vyasa, describe you thus. You Yourself have told me this too."

Bhagavad Gita

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
May all sentient beings be at peace, may no one suffer from illness, May all see what is auspicious, may no one suffer. Om peace, peace, peace.

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