Using the hook of self-knowledge, thorns of various opinions have extracted out from inside of heart by me.॥1॥
जनक उवाच-
तत्त्वविज्ञानसन्दंश-
मादाय हृदयोदरात्।
नानाविधपरामर्श-
शल्योद्धारः कृतो मया॥१९- १॥
राजा जनक कहते हैं - तत्त्व-विज्ञान की चिमटी द्वारा विभिन्न प्रकार के सुझावों रूपी काँटों को मेरे द्वारा हृदय के आन्तरिक भागों से निकाला गया॥१॥
King Janak says - Using the hook of self-knowledge, thorns of various opinions have extracted out from inside of heart by me.॥1॥
Ashtavakra Gita
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