Though motionless, It is faster than the mind. The devatas cannot reach It, for It moves ever ahead. Though stationary, It outpaces those who run. Because of it, Matarishva (the life breath) regulates the activities of all.
ईश उपनिषद– मंत्र ४
अनेजदेकं मनसो जवीयो नैनद्देवा आप्नुवन्पूर्वमर्षत् |
तद्धावतोऽन्यानत्येति तिष्ठत्तस्मिन्नपो मातरिश्वा दधाति ||
तात्पर्य: अचल होने के बावजूद भी वह मन से तेज़ हैं। देवता उनके निकट पहुंच नहीं सकते, क्योंकि वह सदैव आगे बढ़ते रहते हैं। स्थिर होने के बावजूद भी वह दौड़ने वालों को पीछे छोड़ देते हैं। उनकी वजह से ही मातरिश्वा (प्राणवायु) सभी के क्रियाकलापों को नियंत्रित करते हैं।
Though motionless, It is faster than the mind. The devatas cannot reach It, for It moves ever ahead. Though stationary, It outpaces those who run. Because of it, Matarishva (the life breath) regulates the activities of all.
Ishavasya Upanishad
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