There are no righteousness and duty, no objective or discretion, no duality or non-duality for me, who is established in Self.॥2॥
क्व धर्मः क्व च वा कामः
क्व चार्थः क्व विवेकिता।
क्व द्वैतं क्व च वाऽद्वैतं
स्वमहिम्नि स्थितस्य मे॥१९- २॥
अपनी महिमा में स्थित मेरे लिए क्या धर्म है और क्या काम है, क्या अर्थ है और क्या विवेक है, क्या द्वैत है कया अद्वैत है?॥२॥
There are no righteousness and duty, no objective or discretion, no duality or non-duality for me, who is established in Self.॥2॥
Ashtavakra Gita
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