The seer is without thoughts even when thinking, without senses among the senses, without understanding even in understanding and without a sense of responsibility even in the ego.॥95॥
ज्ञः सचिन्तोऽपि निश्चिन्तः
सेन्द्रियोऽपि निरिन्द्रियः।
सुबुद्धिरपि निर्बुद्धिः
साहंकारोऽनहङ्कृतिः॥१८- ९५॥
धीर पुरुष चिन्तावान होने पर भी चिंतारहित होता है, इन्द्रिय युक्त होने पर भी इन्द्रिय रहित होता है, बुद्धि युक्त होने पर भी बुद्धि रहित होता है और अहंकार सहित होने पर भी अहंकार रहित होता है॥९५॥
The seer is without thoughts even when thinking, without senses among the senses, without understanding even in understanding and without a sense of responsibility even in the ego.॥95॥
Ashtavakra Gita
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