The righteous, who consume the leftover food offered in the sacrifice (yajna), are freed from all sins. In contrast, sinners who cook food solely for themselves incur sin.
भगवद्गीता– अध्याय ३, श्लोक १३
यज्ञशिष्टाशिन: सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषै: |
भुञ्जते ते त्वघं पापा ये पचन्त्यात्मकारणात् ||
अनुवाद: यज्ञ में अर्पण के पश्चात अवशिष्ट भोजन को ग्रहण करने वाले धर्मात्मा सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं, परन्तु केवल स्वयं के लिए ही भोजन पकाने वाले पापात्मा पाप अर्जन करते हैं।
The righteous, who consume the leftover food offered in the sacrifice (yajna), are freed from all sins. In contrast, sinners who cook food solely for themselves incur sin.
Bhagavad Gita
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