Only those regulated in diet, recreation, action, sleep, and wakefulness can do yoga that dispels sorrows.
भगवद्गीता– अध्याय ६, श्लोक १७
युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु |
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दु:खहा ||
अनुवाद: दुःखों का नाश करने वाला योग केवल उन्हीं के लिए संभव है जो आहार, विहार, कर्म, नींद, और जागरूकता में संयमित हैं।
Only those regulated in diet, recreation, action, sleep, and wakefulness can do yoga that dispels sorrows.
Bhagavad Gita
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