From food arise all beings, and food is produced from rain. From sacrifice (yajna) comes rain, and sacrifice springs from actions. Know that actions originate from the Vedas, and the Vedas proceed from the imperishable Brahman; hence, the all-pervading Brahman is always present in sacrifice.

भगवद्गीता– अध्याय ३, श्लोक १४–१५

अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भव: |
यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञ: कर्मसमुद्भव: ||
कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम् |
तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम् ||

अनुवाद: समस्त प्राणी अन्न से उत्पन्न होते हैं और अन्न की उत्पत्ति वर्षा से होती है। वर्षा यज्ञ से होती है और यज्ञ कर्मों से निष्पन्न होता है। यह जान लो कि कर्म वेदों से उत्पन्न होते हैं और वेद अविनाशी ब्रह्म से उत्पन्न होते हैं; इसलिए, सर्वव्यापी ब्रह्म सदैव यज्ञ में प्रतिष्ठित हैं।

From food arise all beings, and food is produced from rain. From sacrifice (yajna) comes rain, and sacrifice springs from actions. Know that actions originate from the Vedas, and the Vedas proceed from the imperishable Brahman; hence, the all-pervading Brahman is always present in sacrifice.

Bhagavad Gita

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
May all sentient beings be at peace, may no one suffer from illness, May all see what is auspicious, may no one suffer. Om peace, peace, peace.

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