Anger induces delusion, and delusion leads to confusion of memory; from confusion of memory comes loss of intellect, and loss of intellect leads to outright perishment.

भगवद्गीता– अध्याय २, श्लोक ६३

क्रोधाद्भवति सम्मोह: सम्मोहात्स्मृतिविभ्रम: |
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति ||

अनुवाद: क्रोध से मोह उत्पन्न होता है और मोह से स्मृतिभ्रम; स्मृति के भ्रमित होने पर बुद्धि का नाश होता है और बुद्धि का नाश होने पर मनुष्य का पतन हो जाता है।

Anger induces delusion, and delusion leads to confusion of memory; from confusion of memory comes loss of intellect, and loss of intellect leads to outright perishment.

Bhagavad Gita

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
May all sentient beings be at peace, may no one suffer from illness, May all see what is auspicious, may no one suffer. Om peace, peace, peace.

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