You do not belong to 'Brahman' or any other caste, you do not belong to 'Celibate' or any other stage, nor are you anything that the eyes can see. You are unattached, formless and witness of everything - so be happy.॥5॥
न त्वं विप्रादिको वर्ण:
नाश्रमी नाक्षगोचर:।
असङगोऽसि निराकारो
विश्वसाक्षी सुखी भव॥१-५॥
आप ब्राह्मण आदि सभी जातियोंअथवा ब्रह्मचर्य आदि सभी आश्रमों से परे हैं तथा आँखों से दिखाई न पड़ने वाले हैं। आप निर्लिप्त, निराकार और इस विश्व के साक्षी हैं, ऐसा जान कर सुखी हो जाएँ॥५॥
You do not belong to 'Brahman' or any other caste, you do not belong to 'Celibate' or any other stage, nor are you anything that the eyes can see. You are unattached, formless and witness of everything - so be happy.॥5॥
Ashtavakra Gita
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