You are not connected with anything. You are pure. What do you want to renounce? Dissolve this unreal connection and be one with Self.॥1॥
अष्टावक्र उवाच -
न ते संगोऽस्ति केनापि
किं शुद्धस्त्यक्तुमिच्छसि।
संघातविलयं कुर्वन्-
नेवमेव लयं व्रज॥५- १॥
अष्टावक्र कहते हैं - तुम्हारा किसी से भी संयोग नहीं है, तुम शुद्ध हो, तुम क्या त्यागना चाहते हो, इस (अवास्तविक) सम्मिलन को समाप्त कर के ब्रह्म से योग (एकरूपता) को प्राप्त करो॥१॥
Ashtavakra says:
You are not connected with anything. You are pure. What do you want to renounce? Dissolve this unreal connection and be one with Self.॥1॥
Ashtavakra Gita
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