This is to be done and this should not be done, such confusions have never ended for anybody. Knowing this, be indifferent (neutral), be ascetic and don't follow such (ritualistic) rules.॥1॥
अष्टावक्र उवाच -
कृताकृते च द्वन्द्वानि
कदा शान्तानि कस्य वा।
एवं ज्ञात्वेह निर्वेदाद् भव
त्यागपरोऽव्रती॥९- १॥
श्री अष्टावक्र कहते हैं - यह कार्य करने योग्य है अथवा न करने योग्य और ऐसे ही अन्य द्वंद्व (हाँ या न रूपी संशय) कब और किसके शांत हुए हैं। ऐसा विचार करके विरक्त (उदासीन) हो जाओ, त्यागवान बनो, ऐसे किसी नियम का पालन न करने वाले बनो॥१॥
Sri Ashtavakra says: This is to be done and this should not be done, such confusions have never ended for anybody. Knowing this, be indifferent (neutral), be ascetic and don't follow such (ritualistic) rules.॥1॥
Ashtavakra Gita
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