There is neither heaven nor hell nor even liberation during life. In a nutshell, in the sight of the seer nothing exists at all.॥80॥
न स्वर्गो नैव नरको
जीवन्मुक्तिर्न चैव हि।
बहुनात्र किमुक्तेन
योगदृष्ट्या न किंचन॥१८- ८०॥
योगी के लिए न स्वर्ग है, न नरक और न जीवन्मुक्ति ही। इस सम्बन्ध में अधिक कहने से क्या लाभ है योग की दृष्टि से कुछ भी नहीं है॥८०॥
There is neither heaven nor hell nor even liberation during life. In a nutshell, in the sight of the seer nothing exists at all.॥80॥
Ashtavakra Gita
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