Just as form exists inside a mirror and outside it, Supreme Self exists both within and outside the body.॥19॥
यथैवादर्शमध्यस्थे
रूपेऽन्तः परितस्तु सः।
तथैवाऽस्मिन् शरीरेऽन्तः
परितः परमेश्वरः॥१-१९॥
जिस प्रकार दर्पण में प्रतिबिंबित रूप उसके अन्दर भी है और बाहर भी, उसी प्रकार परमात्मा इस शरीर के भीतर भी निवास करता है और उसके बाहर भी॥१९॥
Just as form exists inside a mirror and outside it, Supreme Self exists both within and outside the body.॥19॥
Ashtavakra Gita
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