In infinite ocean of myself, world rises and vanishes naturally like a wave by 'Maya'. But it does not cause any growth or damage to me.॥2॥
मय्यनंतमहांभोधौ
जगद्वीचिः स्वभावतः।
उदेतु वास्तमायातु
न मे वृद्धिर्न च क्षतिः॥७- २॥
मुझ अनंत महासागर में विश्व रूपी लहरें माया से स्वयं ही उदित और अस्त होती रहती हैं, इससे मुझमें वृद्धि या क्षति नहीं होती है॥२॥
In infinite ocean of myself, world rises and vanishes naturally like a wave by 'Maya'. But it does not cause any growth or damage to me.॥2॥
Ashtavakra Gita
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