Amazingly, in the infinite ocean of myself, the waves of life arise, meet, play and disappear naturally.॥25॥
मय्यनन्तमहांभोधा-
वाश्चर्यं जीववीचयः।
उद्यन्ति घ्नन्ति खेलन्ति
प्रविशन्ति स्वभावतः॥२-२५॥
आश्चर्य, मुझ अनंत महासागर में जीव रूपी लहरें उत्पन्न होती हैं, मिलती हैं, खेलती हैं और स्वभाव से मुझमें प्रवेश कर जाती हैं॥२५॥
Amazingly, in the infinite ocean of myself, the waves of life arise, meet, play and disappear naturally.॥25॥
Ashtavakra Gita
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