SHIVA SUTRAS 2.5 | There is no difference between total witnessing and total doership. Be a complete witness, then you are the doer of all of this
*Guru Gyan:* _(Shiv Sutra_2.5)_ शिव सूत्र का अगला सूत्र है उद्यमो भैरवः। तुम जो प्रयत्न करते हो, वह प्रयत्न भी शिव है। अगर आप भगवान को कर्ता मानते हो, तो भोगता भी भगवान ही है। आप अगर कर्ता नहीं हो तो भोग्ता भी आप नहीं हो। कर्तृत्व मे अगर आप पड़ते हो तो आप उसी के अंश हो जाते हो। आप अपने काम मे 100 प्रतिशत लगाओ, वही उद्यम है। जो करना है उसे करके समाप्त करो, और जो छोड़ना है उसे छोड़के शांत हो जाओ....दोनों में 100 प्रतिशत लगाओ, उसे उद्यमो भैरवः कहते है। प्रयत्न भी भगवान है, आपसे भगवान ही कराता है और जो कर रहा है वो भी भगवान ही है। आप मे जो क्रियाशक्ति निहित है वह भी शिव है, हमारे भीतर जो भी गुण है, जो भी दोष है...वह भी उन्हीं का है। ज्ञान से गुण, अज्ञान से दोष....ज्ञान से सुख, अज्ञान से दुःख ....सुख दुःख एक हो जाए, तो ज्ञान अज्ञान भी एक ही हो जाएगा। किसी के प्रति राग द्वेष नही हो...अपने आत्मा के छंद में रम जाते हो। अपना हर कर्म को साक्षी होकर देखना....जैसे दिल की धड़कन चल रही है, रक्त का प्रवाह चल रहा है, श्वास चल रही है, पाचन क्रिया चल रही है। पूर्ण साक्षीत्व और पूर्ण कर्तृत्व मे कोई भेद नही...