Shiv Sutra 1.3

Shiv Sutra_1.3
_ उद्यमो भैरव:। शरीर और मन अलग अलग नियमो पर चलते है। व्यायाम से शरीर पुष्ट होता है और विश्राम से मन तीक्ष्ण होता है। पुरुषार्थ से सबकुछ साध्य होता है...इसलिए उद्यम करो। उद्योगी को भाग्य प्राप्त होता है। संसार और अध्यात्म में प्रयत्न जारी रखना पड़ेगा। सेवा, साधना और सत्संग की जरूरत है। रजोगुण बढ़ता है तो ध्यान नही लगता । रजोगुण को काम पे नही लगाओगे तो वह चिंता में परिवर्तित होने लगता है। उद्यम करने से रजोगुण शांत होने लगता है। जो करने का है वह करके और जो नही करने का है उसे छोड़के शांत हो जाओ। रजोगुण इस तरीके से सत्वगुण में बदल जाता है और आप अपने स्वरूप में जो ज्ञानमय, आनंदमय और प्रकाशमय है लौट आते हो। जो उद्यमी है वो जब बैठते है उनको समाधि लगने लगती है,... शिवतत्त्व मे प्रविष्ठ होने लगते है। Body and mind follow different rules. Exercise strengthens the body and by relaxing the mind it gets sharp. Everything makes sense with effort ... so do work. The who works gets a fortune. Efforts will have to continue in the world and spirituality. Service, Sadhana and satsang are needed. When Rajoguna increases, attention is decreased. If you do not apply Rajoguna to work, then it starts turning into anxiety. By doing work, Rajoguna begins to calm down. Relax by doing what you want to do and leaving what you don't want to do. Rajoguna is transformed into sattva guna in this way and you return to your form which is enlightened, blissful and light. Those who work, when they sit, they begin to find samadhi,… they begin to enter into Shivattva. 🙌

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
May all sentient beings be at peace, may no one suffer from illness, May all see what is auspicious, may no one suffer. Om peace, peace, peace.

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